मेरी अभिलाषा
अब अश्वेत केश नहीं
नैन तीव्र नहीं आयु
भी ज्यादा रही नहीं,
आयु अर्धशतक से
अतुलित हो गयी
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं !
चलो चलें संगी अब भ्रमण को
पांचों ताल को देख आये ,ताल जाल का भ्रम सदा
हृदय ताल में ना रह जाये
देख हमेशा रोका तुमने
मुझमें ऐंसी भी कोई कमी नहीं
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं !
बचपन का सी़ंचा संग सपना
आयु धरा पर पाला है ,संग संग मेरे तरु हुआ
अब प्रलंबो का सहारा है ,
स्पंदन flutterहै हृदय गुफा मे
हृदय गति अभी रुकी नहीं
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं !
अभी अमावस हुई नहीं
आंखों में मंद उजियारा है ,
नैन नगण्य ना हो जाये
सांझ काल का तारा हूँ ,
घूम रहा हूँ जीवन धुरी पर
स्वेच्छा पूरी हुईं नहीं
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं !
अब निवृत्त हू हर कर्म से
वृध्द वृक्ष सी दशा मेरी ,
तीव्र वायु झोके से
मिट्टी में मिल ना जाऊ कहीं ,
मोह करु का जीवन का
कल का भी तो पता नहीं
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं !
अब अश्वेत केश नहीं
नैन तीव्र नहीं आयु
भी ज्यादा रही नहीं ,
आयु अर्धशतक से
अतुलित हो गयी
अभिलाषा पूरी हुईं नहीं ||
Nice 👍
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