गुम हो गई मेरी मां कि वो चिठ्ठी,
जिस पर रख कर वो प्यार भेजा करती थी,
पूछा करती थी,कैसा हाल है मेरा,
कुछ हाल वो अपना सुनाती थी,
पिता तेरे है परदेश,
दादा दादी के तुम्हें देखने को तरसे नैन ,
भाई बहन शैतान तुम्हारे,
सखी सहेली के तुम दिल के चैन,
सब के दिल का हाल सुनाती, जब मेरी मां कि वो चिठ्ठी आती,
फिर युग ऐसा बदला ,
मां कि चिठ्ठी नही फोन आया,
कहने लगी बहुत सरल है बटन दबाना,
जादू से तेरा नम्बर आना ,
अब मां को कैसे बतलाऊं,
तेरी चिट्ठी को दिल से लगाकर रो लिया करती थी,
तेरी याद आने पर उसे चूम लिया करती थी,
रख कर उसे तकिये के नीचे,
तेरी गोद में सो लिया करती थी,
अब रोज बात होती है मां से,
लेकिन वो पुराना सा एहसास नही होता,
मां तेरी चिट्ठी का महिनों अब इंतजार नही होता,
_संगीता थपलियाल,