जुन गेंणा 24/01/22


चांद 

और  तारों    chand or tare  की अनोखी वार्तालाप जिसमें तारे   अपनी तुलना मर्त्या लोक के जन मानस से कर रहे हैं और 🌚 तारों को समझने का प्रयास कर रहा है कि!      अनोखी बात

 दूर की कोई भी वस्तु हो औ  हमेशा अच्छी लगती है, किन्तु सामने आकर सामान्य  हो जाती है |

Any object is far away and always looks good, but it becomes normal after coming in front.

ll

    

   ||   जून गैंणौ़ की छुंई  ||

गैणां

 गेंणा जुनि मा छुंई लगणां

देख दीदी सर्या संसार स्ये ग्या , 

हम निर्भागी रिगंणा रिगंणा

सर्या स्वर्ग का चक्कर लगा़णा, 

हम से भल्तलु त  मर्त्या लोक

चार पहर काम का ता 

चार आराम मा  |


जून

रै दूर का पंछी प्यारा लगता

समणी ऐकी अफ सणी औ , 

तूम उंथे  भग्यान समझणा 

ऊ गणणा तूम थै ईश्वर मा  |


गैणां

यखी  बिजुणु ना सुपन्या निंन्द

ना हवा पाणी भी केमा बुंन , 

केमा अपणी लगाणी

केमा बोलू दुख अपणां   |


चांद🌚

भलु के सुणा बात ये मेरी 

केकू दुख नी को बिन खैरी

तुम मनखी  सी  दुखी व्हावा

दुख तैरि तुमरी गिनती हुणि  ईश्वर मा!! शश  ||


|| चांद🌚 तारों की अनोखी बात ||


  || moon star emoji 🌚 ||

तारे

तारे चांद से बातें कर रहे हैं
देख दीदी सारा संसार सो गया  ,
हम बेचारे घूम रहे हैं घूम रहे
पुरे आकाश के चक्कर काट रहे हैं  |
हम से बढिया तो मर्त्या लोक
चार पहर काम का
तो चार आराम में |

चांद

रै पंछी प्यारे लगते हैं  ,
सामने आकर अपने जैसे दिखते है
तुम उनको किस्मत वाले समझ रहे हो
औ  गिन रहे आपको ईश्वर में  |



तारे

यहाँ उठना जगना ना सौना  नींद
यहाँ ना हवा ना पानी किससे कहें ,
किससे कहें मन की बिपदा
किससे अपनी मन की बात कहैं |



चांद

रै अच्छी तरह से सुनो बात मेरी, बात
किसको दुख नही है किसको परेशानी!
तुम आम आदमी की तरह परेशान ना होना
दुख तरके ही तुम्हारी गिनती ईश्वर में हो रही है ||

     ||  दैबेन्द्र रावत  ||


3 टिप्पणियाँ

Devendrasinghrawat484@gmail.com

  1. देख दीदी सर्या संसार स्ये ग्या

    हम निर्भागी रिगंणा रिगंणा

    बहुत खूबसूरत कविता

    जवाब देंहटाएं
  2. "जुन गैणा"शीर्षक मां रचित रचना अथाह परिश्रम करण वळा मनख्यों कि व्यथा कथा बतौण वळि हृदयस्पर्शी रचना च। कवि का मनोभाव प्रशंसनीय छन। भोत-भोत बधै छन आपतैं रावत जी

    जवाब देंहटाएं
और नया पुराने