आखिर कब तक,

एक अजीब सी खामोशी है मेरे दिल में,
ना शिकायत है तुमसे,
और ना ही गम है इस बात का,
तुम मेरे साथ नही,
           हां चाहा बहुत था मैंने,
           तुम्हे दिल का हाल बतांऊ,
            लेकिन तुम तो खुश हो ना अपनी दुनिया में,

तो मै ,
तुम्हारा मुझे भूल जाने का गम क्यूं मनाऊं,

             एक अरसा बीत गया तुमसे मिले हुए, 
              लगता है अब एक वक्त आयेगा,
              जब तुम्हारा नंबर भी मेरे फ़ोन से गुम हो जायेगा,
               धुंधला सा एक चेहरा तेरा जो यादों में रहता है,
               अब वो भी मिट जायेगा,

दिल ही तो है,आखिर कब तक,
एक दिन हारकर, तुम्हे भूल ही जायेगा,।। 


                   

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