dhari devi mandir ( धारी देवी का मंदिर)
प्राचीन काल से ही भारतीय लोगों का देवी देवताओं और मंदिर मूर्तियों में अटूट विश्वास रहा है! किन्तु समय के साथ- साथ लोगों की धारणाओं में बडा़ बदलाव देखने को मिला है देवी देवताओं और मन्दिरों की वजाय लोगों का विज्ञान के प्रति विश्वसनीयता अधिक बड़ी है! जैसे कि आप किन्तु आज भी चमत्कारी और रहस्यमय मन्दिरों को भी नकारा नहीं जा सकता है!देखा जाए तो भारत भूमि में सैकड़ों ऐसे मन्दिर है जिनमें से अनेकों रहस्यमय और चमत्कारी माने जाते हैं मुख्यतः काल भैरव मंदिर मध्य प्रदेश या उड़ीसा कोर्णाक मंदिर जहाँ समय के साथ मन्दिर का शीर्ष चक्र उल्टी दिशा में घुमता है या भोज प्रसाद प्रकृया सबसे उपर वाला वर्तन का भोज सर्वप्रथम पकना यह किसी रहस्य से कम नहीं है !
अगर 2013 की बात की जाए तो dev bhumi uttrakhand की उस भयानक आपदा को शायद ही कोई भुला पाये जिसमें सैकड़ों लोग बैघर हो गए!और अनगिनत लोगों का पता तक नहीं मिला ऐंसी दिल दहला देने वाली त्रासदी को कौन भुला सकता है !
आज हम ऐंसे ही रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर के विषय में बात करने वाले है जिसका सीधा सम्बन्ध 2013 kedarnath aapda से है!
वह देवीय शक्ति कोई और नहीं मां धारी देवी का मंदिर ही है जिसके मात्र स्थान स्थानांतरण के प्रकोप से हिमालय का निकटवर्ती क्षेत्र थराह गया और सैकड़ों जनमानसो का पता तक नहीं मिला!इस बात की पुष्टि पूर्व बिदेश मन्त्री और भाजपा की बरिष्ठ नेता स्वग्रीय श्री सुषमा स्वराज जी द्वारा भी की गई है!
माँ धारी देवी यहाँ सिर्फ सिर के रूप में ही स्थापित है जबकि धड़ का हिस्सा काली मठ अर्थात uttarakhand devbhumi रुद्रप्रयाग मे मेठाणा मन्दिर में स्थित है माँ धारी देवी माँ काली देवी को समर्पित है आपको बताते चले कि यह भव्य maa dhari devi temple देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है !
एक रहस्यमय देवी
आपको एक अनोखी जानकारी ओर देते चले कि आज के बिकास युग में जहाँ लोग लोक पौराणिक कथाओं से science पर अधिक विश्वास करते हैं वंही इस मंदिर में एक चमत्कारी रहस्य देखने को मिलता है!
एक रहस्यमय देवी
आपको एक अनोखी जानकारी ओर देते चले कि आज के बिकास युग में जहाँ लोग लोक पौराणिक कथाओं से science पर अधिक विश्वास करते हैं वंही इस मंदिर में एक चमत्कारी रहस्य देखने को मिलता है!
एक ऐसा रहस्य जहाँ माता दिनभर मे तीन बार अपना रूप बदलतीं है! सुबह यानि प्रातः काल कन्या रूप में दिखाई देती है जबकि दोपहर को एक युवती रूप में नजर आती है तथा सांझ काल में वृद्ध अवस्था मेंमें दिखाई देती है!
आवागमन
इस आलोकित मन्दिर तक आप दिल्ली से कोटद्वार पौड़ी होते हुए pauri garhwal srinagar से मात्र 17 कि॰मी॰ पहले या rishikesh highway से भी आ सकतें है दोनो मार्ग पौड़ी में ही मिलते हैं आगे का मार्ग समानांतर है!धारी देवी का इतिहास
धारी देवी की कथा
कथाओं के अनुसार बताया जाता है कि maa dhari devi सात भाईयों की इकलौती बहन थी ! धारी देवी के बाल्यकाल में ही माता पिता का देहांत हो गया ! उनकी देखरेख और पालन पोषण उनके भाईयों द्वारा किया गया माँ थारी देवी भी सातो भाईयों को सराबोर प्रेम करती थी !
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किन्तु एक दिन उनके भाईयों को ज्ञात हुआ कि धारी देवी के ग्रह भाईयों के लिए दोषपूर्ण है जिससे उनके भाईयों के मन में अनेकों भ्रांतियां उत्पन्न होने लगी बात सिर्फ़ यंही तक नहीं रुकी कुछ- कुछ समय अन्तराल में धारी देवी के पाँच भाईयों की अकस्मात मृत्यु भी हो गई ! जिससे शेष दो भाईयों का शक और भी गहरा कर यकीन में बदल गया और वह माँ धारी देवी को नफरत की दृष्टि से देखने लगे !
धारी देवी जब मात्र 13 वर्ष की थी तो शेष दो भाईयों ने एक रात्रि🌙🌃 समय पा कर कन्या की हत्या कर दी और सिर धड से अलग कर गंगा में बहा दिया ! पानी के तीव्र बैग के कारण कन्या का सिर दूर धारी गांव के निकट नदी तक पहुँच गया!
एक दिन प्रातः एक व्यक्ति नदी तट पर कपड़े धो रहा था अचानक उसे एक कन्या डूबती हुई दिखाई दी उसने कन्या को बचाने का प्रयास किया किन्तु पानी का बैग और गहराई से वह घबरा गया!
तत्पश्चात उस बहते शीश से एक आवाज आई तू डर मत मुझे बचा, तू जहाँ- जहाँ पैर रखेगा वहाँ- वहाँ पर सीढियाँ बनती जायगी वह व्यक्ति जैंसे ही आगे बढा सच में सीरिया बनने लगी जिससे उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा !
जैसे ही उस व्यक्ति ने डुबती कन्या को बचाने का प्रयास किया तो उसके हाथ में कन्या की वजाय कटा हुआ शीश था जिससे वह फिर से घबरा गया! एक बार पुनः उसीतरह का स्वर उस कटे शीश से निकल तू घबरा मत मुझे किसी पवित्र तथा सुरक्षित पत्थर पर स्थान दे दे अब उस व्यक्ति को सीरिया देखकर उस कटे शीश पर पूर्णतः विश्वास हो चुका था
तो उसने वैसा ही किया! जैसे कि कटे सिर ने कहा जिसपर कन्या शीश ने उस व्यक्ति को सारी आपबीती बताई और उस पत्थर🗿 में परिवर्तित हो गई! और तब से आज तक लोगों पर कृपादृष्टि बर्षा रही है |