क्रांति ध्वनि

    **क्रांति ध्वनि**  

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जब तक जीवन पथ पर हूँ,  

मैं संघर्षरत के रथ पर हूँ,  

जीवन धुरी पर चलायमान हूं।


गिरता, सम्भलता, हिचकोले खाता,  

समय की विषम परिस्थितियों से  

अबतक पीछे हटा नहीं हटूंगा नहीं 


और कितनी कठिनाइयाँ आएँगी,  

और कितने मुश्किल रस्ते होंगे —  

मैं कुछ कह नहीं सकता।  


आते-जाते, कितनी ठोकरें  

मेरा रस्ता रोकेंगी, लोग कुछ भी कहें,  

पर मैं रुकूँगा नहीं, झुकूँगा नहीं।  


मैं अडिग हूँ उस पर्वत सा,  

जिसको कई बाढ़-बरसात  

छूकर चली गई पर वो झुका नहीं।  


सदियों की बदलती ऋतुओं से  

वो अब तक अटल है, झुका नहीं;  

मैं दुर्बल हूँ, विश्वास क्षीण नहीं।  


मैं स्वरूप हूँ उस तिनके का,  

जो सागर लाँघ जाते हैं, डूबते नहीं।  

मैं जीवन पथ पर अग्रसर हूँ।  


ज़िंदगी और कितनी परीक्षाएँ लेगी —  

अभी कुछ कह नहीं सकता।  

लोग कुछ भी कहें, कोई फ़र्क नहीं ।


कुछ समय के लिए विचलित हूँगा,  

जब तक देह अश्व पर आसीन हूं ,

पर मैं संकल्पित हूं रुकूंगा नहीं ।


मैं संघर्षरत हूँ, संघर्षशील रहूँगा,  

मन से मैं कदापि पीछे हटूंगा नहीं;  

जबतक स्पंदन है शरीर में

 मैं लड़ता रहा हूँ, लड़ता रहूँगा।  




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