आखिर दोषी कौन ✍️
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सर्दियो का समय था टिहरी के एक गांव में एक अमीर व्यक्ति के यहां पुत्री विवाह में बड़ी बारात आ जाती है बारात बड़ी होने के कारण पूरे गांव में सुलाने की व्यवस्था की जानी थी अधिकांश लोग तो राजी हो गये
किन्तु एक गरीब व्यक्ति ने बहूं गर्भवती बताकर कई बार मना किया परन्तु अगले ने अमीरी की धौंस दिखाकर , कल मेरे पास किसी काम के लिए मत आना तुझको भी गांव में रहना है कभी न कभी तो काम पड़ेगा बेचारा गरीब मरता क्या न करता!
एक तो छोटा घर उस पर चार पांच बाराती! जैसे तैसे व्यवस्थित कर रात काटनी थी सों कट गई!
जब समय बुरा हो तो सारी परेशानियां खुद ब खुद आ जाती है सुबह पूरा गांव ठीक से जगा भी नहीं था कि उस गरीब के यहां फोन ट्रेकिंग की मदद से पुलिस आ धमकी और नाम बताकर पूछने लगी कि यह आदमी आपके यहां है बेचारे गरीब को तो उसका नाम भी मालूम नहीं था सोते लोगों को दिखा दिया पता लगा कि उन बारातियों में यह एक नशेड़ी भी है जो नशा करने के साथ आसपास के गांव बाजारों में छोटा मोटा नशा भी बेचता है जिसको पुलिस तलाशते हुए यहां तक आ धमकी ताकि फिर हाथ से न निकल जाए !
नशेड़ी तो गिरफ्तार हुआ हुआ पनाह देने के चक्कर में वह गरीब व्यक्ति भी पकड़ा गया लोगों ने बड़ी कोशिशों की मगर पुलिस कहां मानती है!
हालांकि दो दिन बाद बगैर किसी ज़मानत के उस व्यक्ति को छोड़ा जाता है मगर फजीहत दागदार उसका क्या जिसके घर में गर्भवती बहूं हो भेड़ बकरियों और गाय भैंसों पर निर्भर
हो |