प्रकृति का सौंदर्य

 

निकट नदी का दृश्य मनोरम
प्रभावैला मनभावन,
कण कण बिखरी छटा निराली
पग पग थरा का मोहे मन!

विहान बर्षे मेघ घने रै
अब सर्वत्र प्रकाशमय;
चमक रहे हैं पुष्प अनोखे
ज्यो स्वर्ण बिछोना शैल नया!

नव कलियां  खिली अनोखी
नवरंग की मुस्कान लिए,
समुह संग आए बिहंग सलोने
उडने के नव  प्रयास नया!

चंचल दरिया का प्रवाह,
कल कल करता जल प्रपात।
घनघोर घनेरे मेघ मध्य,
लेकर आया रवि नव प्रभात।

चलती पुरवा की बयार,
बजते डाली के पात पात।
गर्जत दामिन हो विकराल,
कलरव करती खग जमात।

मेघों की देखो चीर धार,
इन्द्र धनुष की आभा अपार,
मन में कई उमंगे उठती,
देख इन्द्र धनुष की सतरंगी बहार।

पग पग सलिल से धरा धुलि है
धुली प्रकृति वन शिखर
मंद शीतल वायु सुगंधित
बिहंग करे उडने का प्रयास नया


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