चखुली,

प्रस्तावना _ ये कहानी है एक छोटी सी चिड़िया और एक बुड्ढी अम्मा की, उत्तराखंड के अधिकतर हिस्सों में  छोटे आकार कि जितनी भी चिड़िया होती है उन्हें चखुली कह कर पुकारा जाता है,। 
       आज भारी मात्रा में पेड़ों को काट दिया जाता है, जंगलों में आग लग जाती है, प्रदूषण, मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण से और इंसानो के नीजी स्वार्थ से पक्षियों कि प्रजाति खतरे में है, कहानी के माध्यम से पक्षियों पर दया कि भावना का संदेश दिया गया है।


कहानी _ ये कहानी है उत्तराखंड के एक छोटे से गांव कि, गांव के एक विराने हिस्से में एक कच्चे मकान में एक बुढ़ी अम्मा रहती थी, अम्मा का बेटा और बहू शहर में रहते थे, और बेटी ससुराल में, जो सालभर में अपनी मां से मिलने आ जाती थी, अम्मा दिनभर घर में अकेली रहती थी, अम्मा से बात करने वाला कोई नही था,

एक दिन अम्मा एक छोटा सा पेड़ लाकर आंगन में लगाती है, तीन,चार साल में पेड़ हरा भरा और काफी बड़ा हो गया था,
एक छोटी सी चिड़िया मुंह में घास के तिनके लेकर पेड़ पर चढ़ जाती थी बुढ़ी अम्मा ने देखा कि चिड़िया ने अपना  घोंसला बना लिया था,ऐ देख अम्मा बहुत खुश हुई, 

अब अम्मा दिनभर पेड़ के नीचे बैठकर छोटी चिड़िया जिसे अम्मा चखुली बोलती थी उसे देखा करती, चखुली को दाना पानी दिया करती, और चखुली से बातें किया करती,चखुली को भी अम्मा से प्यार हो गया था, वो भी फुदक फुदक कर अम्मा कि गोद में बैठ जाती , तो कभी कंधे पर, कभी हाथ पर, 

कुछ दिनों बाद चखुली के घोंसले में बच्चों का शोर सुनाई दिया, चखुली इधर उधर से मुंह में किट पतंगें,दाने लाती और उनके छोटे टुकड़े कर के अपने बच्चों को खिलाती,धूप,बारीष में अपने पंख से उन्हें ढक लेती, पेड़ के नीचे बैठकर अम्मा चखुली को रोज ऐसा करते हुए देखा करती, 

यह देख अम्मा को भी अपने बेटे और बेटी कि याद आती,  
अम्मा चखुली से कहती है _ एक समय था जब मै अपने बच्चों का ऐसे ही ख्याल रखा करती थी, तीनों टाइम का खाना पका कर खिलाया करती थी, लेकिन आज मुझे एक समय का भोजन पकाकर खिलाने वाला कोई नही,

अम्मा कहती है _ है चखुली एक दिन तेरे बच्चों के भी पंख आयेंगे और वो भी क ई दूर उड़ जाएंगे, फिर तू मेरी तरह अकेली रह जायेगी, आज माता पिता के जीवन कि यही वास्तविकता  है , वो बच्चे जिनके लिए हम इतनी मेहनत से घर बनाते है , बच्चों का लालन पालन करते है,हर सुख सुविधा उपलब्ध कराते है वहीं बच्चे अपने भविष्य को संवारने के लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर बनाने कि चाह में अपने माता पिता को अकेला छोड़कर शहरों में रहने लगते है,

अगले दिन_  अम्मा के घर से थोड़ी दूर एक बड़ा सा पेड़ था, जब भी तूफान आता तो अम्मा को उसके टूटने का डर लगा रहता , आज सुबह से ही बारीष लगी हुई थी,रात होते ही तूफान आने लगा, अम्मा डर के मारे घर में दुबक कर बैठ गई तभी चखुली शोर मचाने लगी  शोर मचाने पर अम्मा सोचने लगी चखुली कभी शोर नही करती लेकिन आज इतना शोर क्यूं कर रही है , जरा बाहर निकल कर देख लूं ,

बाहर निकलते ही धड़ाम  से आवाज आई, अम्मा ने देखा बड़े पेड़ का एक भारी हिस्सा टूट कर घर कि छत पर आ गिरा  और घर कि एक दिवार टूट गई थी, और चखुली जिस पेड़ पर रहती थी उसका भी आधा भाग टूटा हुआ था , चखुली का घोंसला बिखरा हुआ था और बच्चे मरे हुए थे, चखुली ने अम्मा को बचा लिया था लेकिन अपने बच्चों को नही बचा पाई ,ऐ देख कर अम्मा और चखुली दोनों बहुत दुखी थे ,

कुछ दिनों बाद _ घर टूटने कि खबर सुनकर अम्मा का बेटा शहर से आता है और घर को बड़ा और पक्का घर बनाने कि जिद करने लगता है, अम्मा मान जाती है , लेकिन घर के आंगन में जो पेड़ है उसे भी काटने को कहता है, लेकिन अम्मा मना कर देती है , दो तीन दिन के बाद अम्मा कि गैर हाजिरी में बेटा पेड़ को काट देता है , अब एक बार फिर से चखुली का घोंसला और अंडे बिखरे पड़े थे, चखुली इतना रोती है वो भी मर जाती है ,

थोड़ी देर बाद अम्मा आती है__ अम्मा ने जब मंजर देखा तो फूट फूटकर रोने लगी , और कहती है _ 
                          
                     पंछी ढूंढ रहा बसेरा ,
                     अब वो जाये कहां ,
                     काट रहा हर पेड़ धरा पर,
                     दुष्ट निर्दय इंसान , 

वो गुस्से से अपने बेटे को कहती है ,_  किसी का घर उजाड़ कर अपना घर बसाना इंसानियत नही बल्कि हैवानियत है, तुम तो सालों तक मुझसे मिलने नही आते ,मेरा सहारा तो चखुली ही थी, चखुली ने मेरी जान बचाई और तुमने उसकी जान ले ली, भगवान तुम्हें कभी माफ नही करेगा , 

कितना स्वार्थी हो गया है इंसान , अपनी सुख सुविधा के लिए जंगलों को काट रहा है तो कभी आग लगा रहा है , कभी सोचा है जंगलों में रहने वाले जानवरों और पक्षियों का क्या होता होगा , आज पक्षियों कि क ई  प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है ,
         अरे हम इंसान हैं  , हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए , और कुछ नही तो घर कि छत पर इनके लिए दाना पानी तो रख ही सकते है, 

कभी आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को देखना, और प्रभात कि पहली मधुर बेला में इनका स्वर सुनना ,तब तुम्हें आभास होगा, ऐ हमारे जीवन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है ,

मां कि फटकार सुन कर बेटे को अपनी ग़लती का एहसास होता है _ बेटा अम्मा से माफी मांगता है , और दुसरे दिन एक फल का पेड़ घर से थोड़ी दूर जाकर लगता है, ताकि चिड़िया को घोंसले के साथ फल भी खाने को मिल सके और भविष्य में उसे घर बनाने के लिए कोई पेड़ ना काटना पड़े ,

कुछ दिनों बाद घर का काम पूरा हो जाता है , अम्मा का बेटा शहर चला जाता है , 
           
  अब अम्मा को इंतजार था फिर से चखुली के आने का ,


                     संगीता थपलियाल _,
        ,,, ्््

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