करवा चौथ karwa chauth

 

करवाचौथ karwa chauth

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सोलह श्रृंगार कर बैठीं हुँ
प्रतीक्षा में दिन भर से
करवाचौथ का व्रत करा है
तुम्हारी दिर्घायु को जीवन में

सांझ से उठकर द्वार निहारु
किवाड़ पर है रै नैन मेरे
पल पल प्रतिपल याद करु मै
दिनभर तुमको प्रियतम मै
करवाचौथ का व्रत करा है
प्रियतम तुमको मैंने जीवन में

कंही कोई कमी ना रह जाए
प्रेम दिवस के जप तप में
स्वयं को मै सौ वार निहारु
हर क्षण जाकर दर्पण में
करवाचौथ का व्रत करा है
प्रियतम तुमको मैंने जीवन में

कब से तुम्हारी राह निहारु
सांझ से आंखें द्वार पे है

चाँद भी आकर झाँक रहा है
आज विलम्ब क्यू आने में
करवाचौथ का व्रत करा है
प्रियतम तुमको मैंने जीवन में

प्रतिक्षा की घडियां गिनती
पल पल तूम्हारी प्रियतम मै
दीर्घायु का व्रत करा है
तुमको ही मैंने जीवन में

त्यौहार कोई भी हो त्यौहार की शोभा तो मुख्य रूप से स्त्रियों से ही होती है! और उसमें अगर हम करवाचौथ की बात करें तो कहना ही क्या यह तो मूख्य रूप से महिलाओं का ही festival है
करवाचौथ मुख्य रूप से हिंदू स्त्रियों का त्यौहार है यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष को सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन हेतु करती है !
     यह त्यौहार मूलरूप से पंजाब, राजस्थान, हिमांचल प्रदेश में मनाया जाता था किन्तु कलांतर में लगभग सभी जगह मनाया जाता है!

    सभी पाठकों से सहृदय विनती है कि अगर इस poem की पत्तियाँ शब्दावली या कोई विचार आपको उत्तम लगे तो कृपया share, coment करने का प्रयास जरूर करना जिससे हमारा उत्साह बढ़ सके और भविष्य में हम आपके समक्ष इससे उत्तम पत्तियाँ ला सके! 

        धन्यवाद🙏  देवैन्द्र रावत 

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