स्वीकृति भाग २

 स्वीकृति भाग २

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    नीता ने अगले दिन से सरस्वती विद्या मंदिर में को पढ़ाना शुरू कर दिया । शुरुआत में तो नीता पढ़ाने में झिझकती रही लेकिन समय के साथ वह परिपक्व होने लगी थी। 

  आदमी जिस समाज में रहता है उसे समाज को देखते हुए अपनी खूबियां और खामियां भी नजर आने लगती है, नीता को भी अपनी अधूरी शिक्षा पर अब बेहद अफसोस हो रहा था , और उसने फैसला कि" BTC " की परीक्षा देगी।

    अब नीता स्कूल से आने के बाद घर का सारा काम खुद ही करती थी मां को कोई काम नहीं करने देती थी और रात को मुन्ना को सुलाने के बाद btc की तैयारी भी,एक रोज! 

सरस्वती देवी नीता"नौकरी में तो मन लग रहा है ना‌ ??

  नीता हां मां मन तो लग रहा है लेकिन कल प्रिंसिपल साहब बोले रहें थे कि 

' साल दर साल ' बच्चों की संख्या कम हो रही हैं और यह हमारे लिए एक चिंतनीय विषय है।

 " सरस्वती देवी " सवालिया अंदाज में नीता वो कैसे 

   नीता मां दिन-प्रतिदिन पहाड़ों से लोग प्रदेश की और जा रहे हैं अर्थात पलायन चरम पर है जब बच्चे ही नहीं रहेंगे तो स्कूल किस मतलब के और फिर कर्मचारियों की तनख्वाह कहां से आयेगी।

 " सरस्वती देवी" हे राम बड़ी मुश्किल से तो ......

    समाज में कुछ भले मानुष है तो कुछ असामाजिक तत्त्व भी! एक रोज नीता स्कूल से घर आ रही तभी दूसरे गांव के कुछ मनचले छोकरे नीता के साथ दुर्व्यवहार करने लगे, जिसपर नीता ने उनका विरोध के बजाय वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी , मगर कब-तक अब उन युवकों का साहस बढ़ा और नीता छेड़ना उनका रोजमर्रा का किस्सा हो गया था ।

  स्कूल से आने-जाने में उन मनचलों का नीता को छेड़ना आम बात थी, एक रोज वहीं रास्ता वही समय और वही नीता, चार-पांच युवक रोजमर्रा की भांति नीता को छेड़ने लगे अचानक एक युवक को लगभग खींचते हुए।

   क्यूं बे बहुत गर्मी हो रही अचानक अर्जुन ने एक युवक को लगभग खींचते हुए कहा इतना देखना था कि पीछे से दो और युवकों ने अर्जुन को रोकने का प्रयास किया ! क्यूं बे तेरी क्या लगती है।

   अर्जुन बताता हूं और एक के कनपटी पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद दिया यह देखते ही सामने खड़े दो युवकों ने अर्जुन को रोकने का प्रयास किया मगर व्यर्थ कुछ ही पलों में अर्जुन ने पांचों को धूल चटा दी वह तितर-बितर होकर भागने लगें अर्जुन ने फिर से उनमें से एक को पकड़ने का प्रयास किया किंतु नीता ने कसकर अर्जुन का हाथ पकड़ दिया रुकों अर्जुन ये तो मवाली है तुम तो ..........

  अर्जुन हाथ झाड़ते हुए नीता मैं समझता हूं मगर खैर छोड़ो ये सब कब से चल रहा था 

  नीता शर्म से एक सप्ताह से अधिक हो गया 

अर्जुन तुम बता नहीं सकती थी क्या?

नीता चुपचाप रही, कुछ देर बाद नीता अर्जुन आजकल क्या कर रहे हो।

  अर्जुन कुछ खास नहीं एक स्कूल में टीचर की नौकरी 

 नीता बात काटते हुए ओहो कब से बताया नहीं।

   अर्जुन तुम तो यहां थी नहीं फिर किसे बताता।

  नीता झिझकते हुए हां ये बात भी सही है खैर अब तो तुम्हारी नौकरी भी लग गई शादी .......

   अर्जुन दो टूक शब्दों में नहीं 

नीता मगर क्यूं 

 अर्जुन संकोचवश बस यूंही बात काटते हुए खैर अपनी बताओं तुम्हारे साथ तो.......... सुनकर बड़ा बुरा लगा।

    नीता छोड़ो ना अर्जुन क्यूं पुराने घाव कुरेद रहें हों चलो मुझे चलना चाहिए टाईम हो रहा है मां राह देख रही होगी।

   नीता तो चली गई मगर अर्जुन अभी भी वहीं बैठा रहा! अर्जुन आज भी वो नीता को मन-ही-मन बहुत प्यार करता था मगर न तब कह सका और न अब , शायद समस्याएं पहले से अब ओर अधिक जटिल हो गई थी और वैसे भी इजहारे इश्क हर किसी के बस का रोग नहीं अर्जुन भी उन्हीं में से था।

     दिन कटते रहे नीता का जीवन अब स्कूल से घर और घर से स्कूल तक में ही सिमट सा गया था , 

   जुलाई के माह की बात थी गर्मियो की छुट्टियोंके बाद स्कूल खुले अभी तीन-चार दिन ही हुए थे कि एक दिन प्रिंसिपल साहब ने सारे अध्यापकों को अपने दफ्तर में बुलाया में बुलाया!

   प्रिंसिपल सारे अध्यापकों को सूचित करते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि हमारे चेयरमैन साहब से सुचना मिली है कि अगर इस वर्ष हमारे पास कम-से-कम ५० से ६० बच्चे न हुएं तो स्कूल बंद करने की नौबत आ सकती है जोकि हम सबके लिए यह एक मुसीबत की घड़ी हो सकती है।

   यूं तो इस खबर से सारे ही अध्यापक स्तब्ध थे मगर नीता सबसे अधिक ठगा हुआ सा महसूस कर रही थी अब क्या होगा बड़ी मुश्किल से तो यहां दिन काट रही थी वो भी बंद होने की कगार पर है , अब तो यह बच्चों की संख्या पर निर्धारित करता है कि नौकरी रहेगी या नहीं।

    किस्मत का लिखा भला कोई टाल सकता है उस वर्ष ५०-६० तो बहुत दूर की बात है स्कूल में २५ से ३० बच्चे भी नहीं हो पाए ! कारणवश स्कूल बंद करवाना पड़ा ,एक नीता ही नहीं उसके साथ प्रिंसिपल से लेकर अन्य अध्यापक भी बेरोजगार हो गए।

   यूं तो नीता ने समय रहते बहुत सारी परिक्षाएं दी थी मगर सब बेकार आज वह पूरी तरह से बेरोजगार हो गईं थी ।

  घर के कामकाज में कुछ दिन तो कट गए मगर अगर व्यक्ति मांसाहारी हो जाएं तो वह बगैर मांस के कब तक रह सकता है नीता की स्थिति भी कुछ-कुछ ऐसी ही थी उसे अब कमाने की आदत लग गई थी मां के सामने वो हाथ नहीं फैलाना चाहतीं थीं , मगर अफसोस उसके पास इसका उपचार भी नहीं था। 

  एक रोज वह मुन्ना को पढ़ा रही थी तब-तक उसके गांव के ही दो बच्चे आकर नीता से गणित का प्रश्न पूछने लगे ।

   बच्चे दीदी इस प्रश्न का उत्तर नहीं निकल रहा, नीता ने तुरंत उनको उस प्रश्न का उत्तर निकालकर दे दिया।

  बच्चे दीदी थोड़ा और बता दो ना अब वो बच्चे रोजाना आने लगें ,पलायन कितना भी हो जाए ,सब तो पलायन नहीं कर सकते अब नीता के पास दिन-प्रतिदिन बच्चों की संख्या बढ़ने लगी जिन्हें वह मन्दिर प्रांगण में पढ़ाने लगी थी और बदलें में उनके मां-बाप नीता को क्षमतानुसार पैसे दे दिया करते थे। एक बार पुनः नीता आत्मनिर्भर होने लगी।

   समय कटता रहा मुन्ना भी अब पांच-छह साल का हो चुका था अब नीता को एक ही बात की चिंता थी कि इन बच्चों को अक्षर ज्ञान तो मैं दे दूं मगर सर्टिफिकेट कहां से लाऊं।

    अब नीता की दिनचर्या घर से मन्दिर प्रांगण, और मन्दिर प्रांगण से घर तक में ही सीमित रह गई। 

   आज स्कूल से आने के बाद अर्जुन बेचैन सा लग रहा था शायद उसको रह-रहकर नीता की याद आ रही थी।

   माना कि कुछ खामियां नीता की भी है मगर ईश्वर का न्याय तो देखिए कितनी परेशान हैं बेचारी! और पता नहीं क्या-क्या सोचने लगा। 

   क्या मैं इसकी कोई मदद कर सकता हूं और यह ख्याल आते ही उसने कागज-कलम उठा लिए।

     माननीय श्री प्रधानमंत्री महोदय 

विषय 

     श्रीमान हमारा गांव एक दूर-दराज के क्षेत्र में आता है और प्रतिदिन पलायन के कारण ज्यादातर मान्यताप्राप्त स्कूल आज ठप्प पड़ गये है। कारणवश हमारे गांव की एक गरीब महिला गरीब बच्चों को वर्षों से निशुल्क शिक्षा दे रही है । 

     आपसे विनती पूर्वक निवेदन है कि वर्षों से निशुल्क शिक्षा देती महिला के विषय में कुछ सोचा जाए। 

   इसकी और ध्यान आकर्षित हेतु आपकी महत कृपा होगी। 

       धन्यवाद और नीचे अपना विवरण 

 

   अर्जुन ने इस पत्र की तीन प्रतिलिपियां बनाकर एक जिलाधिकारी, एक मुख्यमंत्री हेतु व एक प्रधानमंत्री हेतु भेज दी ।

    समय कटता रहा नीता एक रोज नीता बच्चों को पढा रही थी , इसी दौरान थोड़ी सी दूरी पर एक युवती फोन पर बात कर रही है उसके हाव-भाव देखकर नीता को भान हुआ कि यह इतनी देर से कहां बात कर रही है। 

   महिलाओं की दूसरी की बातों में दिलचस्पी लेना कोई नई बात नहीं,नीता भी बगैर सुने रह न सकी और वह उसकी बातें सुनने को एक पेड़ की आड़ लेकर छुप गई ! काफी देर बाद जब फोन कॉल कट हुईं तो ।

    नीता सरिता सुनो 

  सरिता जी दीदी कुछ कहना है क्या ?

नीता बुरा मत मानना बहन मगर इतनी देर से किस से बातें कर रही थी।

 सरिता हड़बड़ाते हुए दीदी वो ऐसे ही 

नीता मगर मुझे तो लग रहा है कि किसी लड़के से बातें हो रही थी भगवान जाने यह मेरा बहम या...........

सरिता नीता को ज्यादा देर तक बहला न सकी और हां दीदी एक लड़का है ।

 नीता दो टूक शब्दों में लड़का कहां से???

सरिता झिझकते हुए दीदी वो बाहर से 

नीता सवालिया अंदाज में बाहर मतलब? गांव के बाहर से या उत्तराखंड के बाहर से ? 

सरिता शर्माते हुए दीदी वो यूपी से है 

नीता तुम मिलते कहां हो ??

सरिता की झिझक अब तकरीबन ना के बराबर थी दीदी हम ज्यादातर वीडियो कॉल पर बातें करते हैं 

  नीता तुम्हें कहां मिला ये लड़का 

सरिता वो इंस्टाग्राम पर और अब मुझसे शादी के लिए बोल रहा है।

  नीता क्या ?? क्या तुमने अपने माता-पिता को बताया ।

 सरिता हड़बड़ाते हुए नहीं दीदी दो-तीन सहेलियों को पता है बस ।

   इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते, सरिता के साथ भी.... बात खुलते देर न लगी और कुछ ही दिनों में सरिता का प्रेम प्रसंग सबके सामने आ गया। 

   एक दिन नीता सरिता की मां से मिली 

नीता चाची जी नमस्ते 

 चाची नमस्ते बेटा कैसी हो घर में सब बढ़िया 

नीता जी चाची सब बढ़िया 

चाची और बताओं कैसा चल रहा है तुम्हारा स्कूल 

  नीता ठीक है चाची अच्छा एक बात करनी थी तुमसे 

 चाची हां हां बताओ 

नीता सुनने में आ रहा है कि सरिता का कहीं प्रेम प्रसंग चल रहा है 

चाची हां बेटा सुनने में तो मेरे भी आ रहा है जहां भी जाती हूं हर कोई यही पूछ रहा है समझ नहीं आ रहा है कि हमारे पालन-पोषण में कौन सी कमी रह गई, ईश्वर जाने इस लड़की की बुद्धि को क्या हो गया ।

  नीता चाची मैं ये नहीं कहती कि प्रेम करना ग़लत है मगर शादी-ब्याह के लिए जांच-पड़ताल भी जरूरी है जिन गलतियों के कारण आज मेरी ये दशा वो किसी और के साथ न हो मेरा तो यही मानना है ।

   चाची सही बोल रही हो नीता ,अब तुम ही बताओ क्या करना चाहिए ।

   नीता चाची मैं तो इतना ही कहूंगी कि पहले उस लड़के और उसके मां-बाप से मिल लेना चाहिए अगर जरूरत पड़ी तो उसका घर-परिवार भी देख लेंगे।

  चाची सही कह रही हो नीता , चलो कल सरिता को लेकर तुम्हारे पास आती हूं तीनों बैठकर बात करते हैं उस लड़के से देखते हैं क्या होता है। 

   दिखावा कितना भी मजबूत क्यूं न हो एक न एक दिन तो सामने आ ही जाता है। अगले दिन नीता, सरिता व सरिता की मां सरिता के प्रेमी से वीडियो कॉल पर बात करने लगी ।

 पहले सरिता ने वार्तालाप की शुरुआत की फिर लो मेरी दीदी से बात करो 

  नीता उसकी शक्ल देखते ही भाई आपका नाम क्या है 

  सामने से जी अमन 

नीता ओके , भाई तुम करते क्या हो और कहां रहते हो।

अमन जी मोटर मैकेनिक का काम और बिजनौर में रहता हूं।

नीता सरिता को कब से और कैसे जानते हों 

अमन दो साल हो गए हैं हम लोगों की दोस्ती को और इंस्टाग्राम पर हुई थी। 

  नीता ओ क्या इससे शादी करोगे।

अमन जी 

नीता अमन मेरे भाई अपना एड्रेस और लोकेशन भेज दीजिएगा 

अमन हड़बड़ाते हुए वो क्यूं 

नीता जोर देकर आप भी जानते होंगे कि शादी-ब्याह के लिए घर-परिवार को देखना बेहद जरूरी है प्लीज़ अपना एड्रेस भेज दीजिए हम आपके मां-बाप से मिलना चाहते हैं आपको कोई एतराज़ मगर दुसरी तरफ से फोन कट गया।

  नीता ने दोबारा कॉल लगाने का प्रयत्न किया लेकिन फोन स्विच ऑफ हो चुका था सरिता ने भी प्रयास किया मगर सब व्यर्थ ।

  फोन स्विच ऑफ से सरिता हैरान सी थी कि अमन को अपने घरवालों से मिलवाने में आपत्ति है क्या ?

नीता देख लिया सरिता अभी तुम्हारे पास इसका फोन आयेगा अब तुम सोच सकती हो और अपने स्तर पर बात कर सकती हो 

 सरिता चुप रही वह एक बार अमन से बात करना चाहती थी । 

   अगले दिन सरिता के पास अमन का फोन आ गया 

   सरिता फोन उठाते हुए, अमन अब किस मतलब से फोन किया है कल तो स्विच ऑफ कर दिया था।

  अमन सरिता ऐसी कोई बात नहीं दरअसल बेट्री (चार्ज खत्म हो गया था) 

  सरिता चलो मान लिया अब अपनी लोकेशन और एड्रेस भेजों हम तुम्हारे आपके घरवालों से मिलना चाहते हैं 

 अमन सरिता टाइम आने दो वो भी कर दूंगा 

सरिता टाइम कौन सा टाइम कब आयेगा वो टाइम 

 अमन देखो सरिता समझने की कोशिश करो 

सरिता अब क्या समझाना चाहते हो 

अमन समझ चुका था कि सरिता अब उसकी बातों में आने वाली नहीं है उसे अचानक गुस्सा आ गया और दो टूक शब्दों में बोला हां हां सही समझ रही हो तुम नहीं मिला सकता तुम्हें अपने अम्मी-अब्बा से 

  सरिता इतना सुनते ही क्या कहा तुमने अम्मी-अब्बा अमन तुम तो ....

अमन असल में मेरा नाम अस्लम हैं बता क्या कर लोगी ????

सरिता अब सबकुछ समझ चुकी थी उसने बिना कुछ कहे फोन काट दिया और अस्लम का नम्बर ब्लैकलिस्ट में डाल दिया।

  इस पूरे घटनाक्रम के बाद सरिता व उसकी मां नीता के पास आयी और हाथ जोड़कर दीदी अपने मुझे नर्क में जाने से बचा लिया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दीदी आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी।

    इतना होना था कि नीता सबकी दृष्टि में सर्वश्रेष्ठ बन गई हर कोई नीता को एक सम्मानित दृष्टिकोण से देख रहा था।

    कर भला तो हो भला किसी ने ऐसे ही नहीं कहा अभी कुछ ही दिन पहले नीता ने सरिता को एक बड़ी मुसीबत से बचाया था और देखिए चंद दिनों बाद डाकिया उसके यहां एक सरकारी लिफाफा देकर आया, जिसपर लिखा था "इस वर्ष का सर्वोच्च उत्तम शिक्षक पुरस्कार से आपको एक माह बाद सम्मानित किया जायेगा नीता की आंखों में आंसू आ गए।

    और उसने तुरंत अर्जुन को फोन लगाया ।

 अर्जुन फोन उठते हेलो नीता आज इस वक्त आपका फोन , घर में तो सब ठीक है ना??

 नीता हां अर्जुन सब बढ़िया आपको एक जरूरी सूचना देनी थी 

अर्जुन सूचना कैसी सुचना ??

नीता ने सारा माजरा एक सांस में बता दिया 

  अर्जुन मुबारक हो नीता 

    और एक माह बाद नीता और अर्जुन दिल्ली में एक सर्व सम्मानित मंच पर थे जिसमें नीता को उत्तम शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित तो किया ही गया, साथ-साथ उसको गांव के एक निकटवर्ती स्कूल में सरकारी अध्यापिका की नौकरी भी दी गई।

   इस खबर को सुनकर नीता आज फूली नहीं समा रही थी मंच से उतरते वक्त उसने अर्जुन का हाथ थाम लिया। 

   अर्जुन ने पहले तो उसे अचरज भरी निगाहों से देखा फिर दोनों मुस्कराते लगें।।

    



  



  

   


   

   

   

   

   



  



  

   


   

   

   

   

   

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