दायित्व पथ पर

 दायित्व पथ पर 

==============

जब तक जीवन पथ पर हूँ,  

दायित्व पथ पर चलता हूँ।  

कर्म हेतु यह जन्म मिला,  

कर्मों को ही अर्पित हूँ।


गिरता, संभलता, हिचकोले खाता,  

नित्य निरंतर आगे बढ़ता।  

कठिनाइयों से जूझते-जूझते,  

समय संग जीवन राह पर हूँ—  

मुश्किल राह का मुसाफिर हूँ।


ठोकरें खाईं, राहों पर 

कितनी बाधाएँ अब भी होंगीं।  

लक्ष्य कठिन, पर मन अडिग है,  

दृढ़ संकल्प में तत्पर हूँ।


मैं अडिग हूँ उस पर्वत सा,  

जिसे छू गईं बाढ़ें, बरसातें।  

पर वह अटल, अचल खड़ा है—  

जीवन और कितनी परीक्षा लेगा?  

मैं दायित्व पर अडिग खड़ा हूँ।


ऋतुएँ बदलीं, दायित्व बदले,  

पर मैं लड़ा हर चुनौती से।  

निर्बल हूँ, पर विश्वास अडिग है—  

मैं उस तिनके के स्वरूप हूँ,  

जो सागर लाँघता है, डूबता नहीं।


अभी और बहुत कुछ रचना है,  

मैं संकल्पित हूँ आत्मा से।  

मरणोपरांत ही विश्राम होगा,  

उससे पहले कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है 

सबकुछ जन्मोपरांत से नियोजित है 

एक टिप्पणी भेजें

Devendrasinghrawat484@gmail.com

और नया पुराने