✍️ उम्मीद की एक किरण बाकी

 

  ** उम्मीद की एक किरण **

==================

शिथिल होकर रक्त सभी

 की धमनियों में जम गया ,

या किसी में कुछ सांस बाकी है ।


क्या क्षीण होकर बिखर गया 

साहस सभी का या , किसी में

उम्मीद की एक किरण आज भी है ।


सब गर्जने वाले शेर थे या ,

किसी में आज भी रक्त बूंद बाकी है 

फिर गिरकर सम्भलना सीखों ।


सिनोंं में दम भरो ,अभी

मंजिलें निकट नहीं शेष समर 

जीवन का अभी काफी है ।


आपत्ति राम पर भी आयीं थी ,

गर्जनें मेघनाथ की भी छायी थी ,

पलभर की हार से ना 

मन इतना उदास करो ।


लहरें ओर भी आयेंगी

बस‌ लहरों का इंतजार करो ।

राणाप्रताप की भाँति पुनः ,

मन का चेतक तैयार करो ।


उठो जागो- जागो- जागो ,

पुनः नव प्रयास करो !

जीवन है ये जीवनभर 

प्रयासरत बनें रहो ।


कल फिर सूरज निकलेगा ,

देह में नयी स्फूर्ति लायेगा ,

सिनों में दम भरों ।


जो द्वंद्व है मस्तिष्क में उसे

चाणक्य की भाँति साकार करो

जीवन नाम है सघर्ष का

सदैव सघर्षरत बनें रहो ||

®देवसिंह गढवाली

एक टिप्पणी भेजें

Devendrasinghrawat484@gmail.com

और नया पुराने