पूर्व परिकल्पित (12/04/25 )
===============
हो सकता है लोग आज मुझे ,
धिक्कारें , ग़लत ठहरायें ।
कुछेक लोगों के अथक प्रयास ,
पर चंद हस्ताक्षरों से
प्रफुल्लित होकर खुशी मनाएं
कोई फ़िक्र नहीं
सुगम समय के आने पर ,
भविष्य में विचारने पर ,
समय समर्थक लोगों से ,
पुनः प्रश्न किये जायेंगे ।
तुम कहां लुप्त थे मग्न मदिरा में
प्रश्नकाल में विमुख होकर
समय अधिरथ लोगों के संग
वो प्रश्न भी किये जायेंगे
जिनसे नव पीढ़ी अनभिज्ञ हैं
©® देवसिंह गढवाली