✍️ पूर्व परिकल्पित

 पूर्व परिकल्पित (12/04/25 )

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हो सकता है लोग आज मुझे ,

धिक्कारें , ग़लत ठहरायें ।

कुछेक लोगों के अथक प्रयास ,

पर चंद हस्ताक्षरों से 

प्रफुल्लित होकर खुशी मनाएं 


कोई फ़िक्र नहीं 

सुगम समय के आने पर ,

भविष्य में विचारने पर ,

समय समर्थक लोगों से ,

पुनः प्रश्न किये जायेंगे ।


तुम कहां लुप्त थे मग्न मदिरा में 

प्रश्नकाल में विमुख होकर 

समय अधिरथ लोगों के संग 

वो प्रश्न भी किये जायेंगे 

जिनसे नव पीढ़ी अनभिज्ञ हैं 


©® देवसिंह गढवाली 


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