मिठास की खोज

 मिठास की खोज (20/5/25)


बता, बता, मेरे लाल, बता,  

सबसे अधिक मीठा क्या?  

आम, सेब या अंगूरों में,  

इनमें इतनी मिठास कहाँ,  

 मन को छू दे जो सदा?  


सोच जरा, तू कर प्रयास,  

मेवा, खीर, जलेबी, रस—  

यह तो क्षणभर के हैं बस!  

तनिक ध्यान से सोच जरा,  

मन को छू दे जो सदा,  

ऐसी मिठास होगी क्या?  


शाम को लाएँ, सुबह देखें,  

फल बेचारे सूख गए।  

कहाँ इनकी मिठास गई?  

इन्हें खाने को अब मन नहीं,  

जिसके लिए तू हठ पर था!  

बता, बता, मेरे लाल, बता।  


वाणी—मधु, शहद, श्रेष्ठ सम,  

अमर, अनुपमेय, रहे सदैव।  

वाणी मेवा-सी क्षणिक नहीं,  

वाणी आत्म-स्पर्श रहे सदा,  

पीयूष-स्रोत-सी बहे सदा ।


© देव सिंह गढ़वाली  

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