कोई टाइटल नहीं

हो सकता है वक्त आज मुझे 

धिक्कारें ग़लत बताएं , ग़लत 
मंतव्य पर कुछेक हस्ताक्षरों से 
प्रफुल्लित होकर खुशी मनाएं 
पर सुगम सत्र के आने पर 
ग़लत सही विचारने पर 
समय समर्थक लोगों से 
पुनः प्रश्न किये जायेंगे , तुम 
कहां लुप्त थे मग्न मदिरा में 
प्रश्नकाल में विमुख होकर 
समय अधिरथ लोगों के संग 
वो प्रश्न भी किये जायेंगे 
जिनसे नव पीढ़ी अनभिज्ञ हैं 
©®देवसिंह गढवाली 





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