पलायन क्या है ?
महाभारत काल में ही द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण ने कह दिया था कि कलयुग मे लोग थोड़े से धन के लिए अपने परिवार को छोड़कर दूर चले जायेंगे जोकि कालांतर में स्पष्ट रूप से दिखाई भी दे रहा है!
भगवान श्री कृष्ण के वचन अनुसार आज आमतौर पर 100 में से 70 लोग या किसी भी गाँव के 70 ℅ लोग रोजगार की तलाश में एवं अन्य कारणों से बड़े शहरों की और निरंतर गतिमान भी है!सामान्यतः लोग अपने मूलनिवास को छोड़कर दूर कहीं के निवासी होना या मूलनिवास निवास से दूर रहकर आवश्यक संसाधनों को एकत्रित करके वंही जीवन यापन करने को सरल और आसान शब्दों में पलायन कहा जाता है !
दरअसल यह एक प्रकार की विश्वा व्याप्ति जटिल समस्या है! जोकि दूर दराज़ के गाँव या छोटे शहरों, कस्बों के लोगो में अक्सर बड़े पैमाने पर देखने को मिलती हैं ! चाहे वह समय कोई भी रहा हो आज का हो या 50 वर्ष पूर्व का! लोग अपने भविष्य के लिए बड़े शहरों की ओर निरंतर गतिमान रहे हैं!https://www.atulyaaalekh.com/2022/08/blog-post_6.html
रोजगार की तलाश में
आमतौर पर हर व्यक्ति को भरणपोषण के लिए किसी ना किसी रूप में सदैव रोजगार की आवाश्यकता होती है जिसके लिए हर व्यक्ति एक स्थान से दुसरे स्थान पर स्थानांतरण करता रहता है! किन्तु मुख्य समस्या गाँव या छोटे शहरों के युवाओं को रहती है ! और यदि वह उच्च शिक्षा प्राप्त हो तो समस्या और भी जटिल हो जाती है क्योंकि अच्छी शिक्षा के उपरांत भी उन्हें अपने ही शहर में शिक्षा अनुसार रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता और पलायन ही एकमात्र सुझाव रह जाता है!
यूँ तो लाखों लोग पलायन जैंसी समस्या से जूझते है मगर कुछ ही भाग्यशाली लोगों को समय का साथ पद प्रतिष्ठा और धन महिमा का लाभ प्राप्त हो पाता है जिसके उपरांत वह वंही के बाशिंदे हो जातें हैं! इसे पूर्णतः पलायन के नाम से भी जाना जाता है!
गाँव में शिक्षा का अभाव
शिक्षा हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है अक्सर हर शिक्षित वर्ग से यही सुनने को मिलता किन्तु यह कथन कंहा तक सार्थक दिखता है यह एक सोचनिया विषय है!शहरों में तो सरकारी एवं निजी विद्यालयों की एक तरह से भरमार है जिसका पूर्णतः लोगों को लाभ भी मिल रहा है किन्तु गाँव में स्थितियाँ इसके विपरीत होती है गाँव में आज भी शिक्षा का स्तर शहरों के मुकाबले अच्छा नहीं माना जाता है ! यह एक कटु सत्या भी है!
हर माँ बाप( वालिद) सर्वप्रथम अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी को सक्षम बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं !
उनके बच्चे को हर तरफ से अच्छी शिक्षा सभ्या व्यवहार मिले एक प्रकार से लोग इसी कारण शहरों की ओर पलायन के लिए बेबस भी है!
हॉस्पिटल की सुविधा
आज भी गाँव या छोटे शहर कस्बे में कोई बीमार हो जाए या कोई बड़ी शारीरिक परेशानी हो तो आपत्तिजनक स्थिति में निकटवर्ती बड़े शहरों के अस्पताल ही याद आतें है इससे महसूस होता है कि अस्पतालों की दुविधा से आपातकाल स्थिति में कितनी बडी क्षति हो सकती है!कई मर्तबा लम्बी दूरी के कारण बीमारी के नाजुक स्थिति में बहुत से मरीजों की जान तक चली जाती है बड़ा आश्चर्यजनक विषय है कि आज के विकास युग में भी दूर दराज़ के गाँव या क्षेत्रीय लोगो को बडे शहरों पर ही निर्धारित रहना पड़ता है ! और अस्पतालों की दुविथा के कारण ही बेबस होकर कुछ लोग पलायन करते हैं !
पलायन के मुख्य कारण
वैसे तो पलायन के ओर भी अनेकों कारण है किन्तु आमतौर पर मूलभूत सुविधाएं जैसे , शिक्षा का अभाव, रोजगार की तलाश, तथा अस्पतालों की दुविधा ही प्रमुख रूप से सामने आते है जिनके मूलरूप से पलायन सदेव चर्म पर रहा है!
उत्तराखंड में पलायन की स्थिति
जिस प्रकार पलायन विश्वव्यापी समस्या है किन्तु उत्तराखण्ड राज्य के लिए यह समस्या किसी दंश से कम नहीं है ! यहाँ पलायन के कारण गाँव के गाँव निरंतर खाली होतें नजर आ रहें हैं!सामान्यतः यहाँ भी मूलभूत समस्याएं लगभग सम्मान ही है रोजगार, शिक्षा, और आज की तारीख में स्वस्थ्य से बंचित पहाड़ ! अगर यहाँ भी नवनिर्वाचित कम्पनियों का गठन किया जाए तो शायद रोजगार जैसी समस्या से उत्तराखण्ड के नव पीढ़ी को राहत मिल जाए!
उत्तराखंड राज्य में रोजगार की तलाश में गाँव खाली होना तो वर्षों से चला आ रहा है किन्तु उससे कई गुना जटिल समस्या आज बहारी लोगों का आगमन नजर आ रहा है जो पहाडो़ के लिए निरंतर घातक साबित हो सकता है! पलायन उत्तराखंड राज्य के लिए एक दंश तो है ही एक आशंका भी नजर आ रही है! आज का उत्तराखंड कल कंही कश्मीर ना बन जाए !
पलायन से बंचित
यूँ तो सामान्यतः पलायन के कारण आम आदमी बहुत से अधिकारों से बंचित रह जाता है ! जिसमें प्रमुख रूप से मतदान अधिकार है ! और एक अच्छें नेता के चुनाव से चूक जातें हैं!
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