जामुन का पेड़ औषधियों का खजाना
black berry tree treasure of medicines
अक्सर सुनने में आता है कि पुराने जमाने के लोग अनपढ़ थे अशिक्षित थे किन्तु वह लोग अनपढ़ ही सही मगर हम पढ़े लिखे लोगो से कई गुना ज्यादा समझदार और कुशलता पूर्वक कार्य करके गए हैं जिनकी हम आज मिसाल देते आ रहें हैं
वह लोग जो भी कार्य करते थे बड़े सोच समझकर जांच परख कर करते थे ! वे सिर्फ उसमें व्यक्तिगत स्वार्थ नही अपितु आस पास की प्रकृति और जनमानस का भी ख्याल रखते थे!वैज्ञानिकों के सफल परीक्षण और जामून की लकड़ी blackberry tree का सदुपयोग इस कथन की पुष्टि करता है कि वे लोग 👫👬👭 हमसे कई गुना बेहतर कुशलता से कार्य के साथ पर्यावरण सन्तुलित करना भी जानते थे !
जिस प्रकार उन लोगों ने एक जामुन Berry की लकड़ी का उपयोग कर प्रकृति के साथ- साथ जनमानस का ध्यान भी रखा! जिसका प्रयोग हम वर्षों से वंशानुगत रूप से करते आ रहे हैं !
यह एक सोचनिया विषय है! कि आखिर नाव या कुऑ की तलहटी में जामून की ही लकड़ी क्यूँ लगाईं जाती है जबकि वह तो काफी कमजोर होती है मोटी से मोटी लडकी भी हाथ से ही बड़ी आसानी से टुट जाती है फिर भी..????
जमोट किसे कहते हैं
प्रचीन काल से ही भारत में नदी पार करने का नाव मुख्य साधन रहा है और नाव की तलहटी में जामून की लकड़ी का उपयोग वर्षों से बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है! जामून की लकड़ी जितनी ज्यादा पानी के सम्पर्क में रहती है उतना ही लकड़ी ज्यादा सुरक्षित और मजबूत होती है आम लकड़ी की भाँति सड़ती नही है इसी के साथ पानी में हरि काई नहीं जमने देती जिससे पानी की शुद्धता भी बनी रहती है!
पुराने समय में जब गाँव में कुँए की खुदाई होती थी तो उसमें जामून की तख्ती का टुकड़ा डाल दिया जाता था जिसे जमोट के नाम से जाना जाता था जिससे पानी की शुद्धता बनी रहे! और पानी पिने योग्य रहता था! जामून Berry अपने मीठें स्वाद के साथ- साथ अनेक गुणकारी ओषधियाँ से भी भरपूर होता है! जामून कैलोरी कम करने में एक मददगार फल साबित होता है इसी के साथ इसमें कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन कैल्शियम की मात्रा प्रचूर मात्रा में पायी जाती है इसके साथ-साथ यह आयतन का बड़ा स्रोत माना जाता है
शा्यद आज हमे ( R O plants) में भी औ शुद्धता नहीं दे पा रहे हैं उनमें भी समय - समय पर कई प्रकार के अवरोध उत्पन्न हो जातें हैं! और पानी की शुद्धता समय अनुसार परिवर्तित होती रहती है!
हाल ही में दिल्ली निजामुद्दीन बावड़ी का जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ है कि 700 वर्ष के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों के बाद भी यहाँ के स्तोत्र बन्द नही हुए! भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के एन श्रीवास्तव जी के अनुसार आज भी वो तख्ती मोजूद है जिसके ऊपर बावड़ी बनी थी और अधिकांश पुराने कुओं और बावडियों की सतह पर इसी प्रकार की तख्तियों का उपयोग किया जाता था
शा्यद आज हमे ( R O plants) में भी औ शुद्धता नहीं दे पा रहे हैं उनमें भी समय - समय पर कई प्रकार के अवरोध उत्पन्न हो जातें हैं! और पानी की शुद्धता समय अनुसार परिवर्तित होती रहती है!
हाल ही में दिल्ली निजामुद्दीन बावड़ी का जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ है कि 700 वर्ष के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों के बाद भी यहाँ के स्तोत्र बन्द नही हुए! भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के एन श्रीवास्तव जी के अनुसार आज भी वो तख्ती मोजूद है जिसके ऊपर बावड़ी बनी थी और अधिकांश पुराने कुओं और बावडियों की सतह पर इसी प्रकार की तख्तियों का उपयोग किया जाता था
https://www.atulyaaalekh.com/2022/07/blog-post.html
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो जामून ना केवल विटामिन सी तथा आयतन को बढाता है अपितु शरीर में हीमोग्लोबिन की पूर्ति भी करता है , जामून डाइबिटीज ( मधुमेह), पेट दर्द , गठिया, पेचिश, पाचन जैसी समस्याओं को ठीक करने में मददगार भी होता है!
अगर आप पानी की टंकी में जामून की लकड़ी का एक मोटा टुकड़ा डाल दे तो कभी टंकी में हरि काई नहीं जमैगी और पानी सदेव पिने योग्य बना रहेगा यह है हमारे पूर्वजों की शिक्षा!
जामून की पत्तियों में एक बेक्टीरियल गुण होते हैं इसके सैवन से ना केवल मकुड़ों से निकलने वाले रक्त को , बल्कि संक्रमण को फैलने से भी रोका जा सकता है जामून से एक बेहतरीन टूथ पाउडर भी बना सकते हैं ||
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