दौर पुराना,

चौराहे पर तेरा मुझसे टकराना,
मेरा तुम्हें देख कर पलभर वहीं ठहर जाना,
तेरी शरारत भरी नजरों का मुझे छू जाना,
शर्मा कर मेरी आंखों का झुक जाना,
 वो मेरा बेवजह मुस्कुराना,
रातभर जागकर तेरा याद आना,
बहुत याद आता है मुझे,
पहली मुलाकात का वो दौर पुराना,

फिर जाने क्या हुआ,
तेरा यूं अचानक से बदल जाना,
बात बात पर तकरार करके रूठ जाना,
 बहुत याद आता है मुझे,
पहली मुलाकात का वो दौर पुराना,

फिर दौर एक ऐसा भी आया,
हम तुम जब जुदा हो गए,
कभी ना मिलने का वादा करके,
भीड़ संग आगे निकल गए,

आज भी उस चौराहे से जब गुजरना होता है,
बहुत याद आता है मुझे,
पहली मुलाकात का वो दौर पुराना,


                     _संगीता थपलियाल,_

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