कोई समझ ना पाएगा,

हिन्दी कविता

शीर्षक : कोई समझ ना पाएगा


करूं शिफारिश किससे ऐ दिल,
तेरी चाहतों को कोई समझ ना पाएगा,
महफिलें लाख हो जिंदगी में,
तेरे खालीपन को कोई भर ना पाएगा,
           
        तुम्हें कल भी तनहाईयों का शौक था,
         तू आज भी अकेला है,
          ऐ दिल तुझे कोई समझ ना पाएगा,

मेरे मुस्कुराते हुए लबो  पर कभी शिकायत ना रही,
तेरे टूटने का दर्द कोई कैसे जान पाएगा,
जब दर्द से गुजरी हो तेरी हर शामे,
तो तेरी रातों को शुकून कैसे मिल पाएगा,

         ऐ दिल तुझे कोई समझ ना पाएगा,

                                संगीता थपलियाल,__

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