फ़ुरसत नहीं अब किसी को हालचाल पूछने का,
खेरियत में भी जिस्म बिमार लगते है,
जेब खाली हो तो औकात पूछा करते है ,
वो मेरे अपने,पराये से लगते है ,
ग़म हो या खुशी,हर महफिल में किरदार निभाया जो करते थे, वो ईद का चांद नजर आया करते है,
वो मेरे अपने, पराये से लगते है,