तुम सही मैं ग़लत,

छोड़ दो ना बेवजह किसी का हमदर्द बनना ,
 सभी तो मतलबी बन बैठे हैं,

      रिश्ता अकेले तुम निभाओ,
      ऐ भी तो सही नही है,

कहती हूं जब भी ये बातें,
तो तुम मुझे ही गलत ठहराते हो,

      मै भी उनके जैसा बन जाऊं
       ऐ भी तो सही नही है,

बस तुम्हारी इसी बात पर प्यार आता है,
तुमसे जुड़े रहने का ख्याल आता है,
     
       तुम्हारी अच्छाईयों को साथ लेकर चलना है मुझे,
       हां, तुम सही मै गलत स्वीकार करना है मुझे,

                           
                                            - संगीता थपलियाल,
                                    

2 टिप्पणियाँ

Devendrasinghrawat484@gmail.com

  1. बहुत सुन्दर पंक्तियां लिख डाली बेजुबान हसरत को जुबान दे डाली कोई आसान नहीं मन की बात कह देना
    इस बात पर बनती है प्यार भरी ताली । तुम्हारी पंक्तियों को आदर देता हु ।

    जवाब देंहटाएं
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