सपना मेरे मन की परिकल्पना 08/12/2021

काव्य संग्रह

सपना मेरे मन की कल्पना


 सपना मात्र कुछ ही पलौं का होता है किन्तु
उस क्षणभर Momentarily  मे हम वो सब देख लेतें है जो हमने सोचा नहीं होता है! 
रात Night को सपने में  In a Dream  जाने क्या क्या देख लेतें है
और सुबह Morning 🌄 तेरे खग Bird  तो उड गये सारे

 

https://youtu.be/3IFCX9Yrtj8

सपनों के खग उड़ा रहा था

दूर गगन में पंख पसारेद

भोरे हुई तो किरण बता गयी

अरे तेरे खग तो उड़ गए सारे

           क्षण एक की महिमा है लोचन की 

         पग हवा में होते मन अनन्त में पहुंचे

                 स्वप्न सहारे सुरप्राशाद में पहुंचे

              ओर मन बोला कि मिल गये तारे

                    सपनों के खग उड़ा रहा था

                          दूर गगन में पंख पसारे

मन्द मन्द मुस्काती परियां

नृत्य करे कंचन आंगन में

मन का मौर  भोर 

बिभोर हर्षित होये

स्वर्णांंग के कण कण से

सपनों के खग उड़ा रहा था

दूर गगन में पंख पसारे


https://aalekhdarshan484.blogspot.com/2022/01/16012022.html

                 श्रृंगार सुसज्जित सजि माधुरी

                         नैन सुनैना से बात करे

                   कौन कहाँ का है ये प्राणी जो

              ओर अधिक पाने का प्रयास करे

                   सपनों के खग उड़ा रहा था

                     दूर गगन में पंख पसारे

कभी सोम सरोवर

कभी स्वर्ण सिहांसन

कभी निहारे अलका को

देख मनोला उड़ उड़ डोला

पारिजात के बृक्ष तले

सपनों के खग उड़ा रहा था

दूर गगन में पंख पसारे

                          तन सोया था मन जागै 

                     मन उड़न खटोला उड़ जाये

                       दूर दृश्य अनन्त गगन में

                        सुरनगरी के द्वारे द्वारे 

                     सपनों के खग उड़ा रहा था

                        दूर गगन में पंख पसारे

भोर जगें ज्यो नैन खुले

देख बिछौना देह  तले

देख नीलाम्बर मन में

सौ बिचार जगेंखाली 

मुठ्ठी मन भरा हुआ

कुछ स्मृति याद रहि

कुछ सबेरे भूल गए

सपनों के खग उड़ा रहा था

दूर गगन में पंख पसारे

भोर हुई तो किरण बता गयी

तेरे खग तो उड गये सारे

इसे भी पढ़ें : कोई समझ ना पायेगा (काव्य संग्रह)

Watch my poem on YouTube - click here

https://youtu.be/3IFCX9Yrtj8



.............................................................

was dreaming
spread wings in the distant sky

When the morning came, the ray told

Your love has all blown away



The glory of the moment is that

Stepping in the air, the mind reached infinity

Arrived at Sur Prashad with the help of dreams

And my mind said that I have got stars

was dreaming

spread wings in the distant sky





soft smiley fairies

Dance in the courtyard

May your heart be happy early in the morning

particle of gold

was dreaming

spread wings in the distant sky



Madhuri adorned with makeup

Nain talk to Sunaina

Who is this creature from

who tries to get more

was dreaming

spread wings in the distant sky



Sometimes Som Sarovar Sometimes

golden throne ever

Look at Alka

Dekh manola ud ud dola

under the parijat tree

was dreaming

spread wings in the distant sky



body slept the mind was awake

Man Udon Khatola Ud Jaye

far away in the invisible eternal sky

by Sur Nagri

was dreaming

spread wings in the distant sky

https://dailyroutine484.blogspot.com/2022/02/uttarakhand.html

The dawn wakes up when the nain opens

see laying under the body

see nilambar in the morning

Wake up thinking in your mind

empty fist full of heart

remember some memory

  something was forgotten

was dreaming

spread wings in the distant sky

When the morning came, the ray told

Your love has gone away





,

4 टिप्पणियाँ

Devendrasinghrawat484@gmail.com

और नया पुराने